उन्नाव रेप केस में दोषी ठहराए गए पूर्व उत्तर प्रदेश विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ सकती हैं। दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उम्रकैद की सज़ा निलंबित किए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए CBI की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 29 दिसंबर को सुनवाई करेगा। इस सुनवाई के बाद यह तय होगा कि सेंगर को दोबारा जेल जाना होगा या नहीं।
मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की वेकेशन बेंच करेगी, जिसमें मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत, जस्टिस जे.के. महेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट शीतकालीन अवकाश पर है और नियमित कार्यवाही 5 जनवरी से शुरू होगी, लेकिन इस संवेदनशील मामले को देखते हुए इसे अवकाश के दौरान सूचीबद्ध किया गया है।
गौरतलब है कि दिसंबर 2019 में दिल्ली की ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को IPC और POCSO एक्ट के तहत दोषी ठहराते हुए प्राकृतिक जीवन तक कारावास की सज़ा सुनाई थी। हालांकि, 23 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए सज़ा निलंबित कर दी कि प्रथम दृष्टया POCSO एक्ट के तहत ‘एग्रेवेटेड पेनिट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट’ का अपराध सिद्ध नहीं होता।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि सेंगर को POCSO एक्ट की धारा 5(c) या IPC की धारा 376(2)(b) के तहत पब्लिक सर्वेंट नहीं माना जा सकता, और न ही वह ‘पोजीशन ऑफ ट्रस्ट या अथॉरिटी’ की श्रेणी में आता है।
वहीं, CBI ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि हाईकोर्ट का यह निष्कर्ष कानून के विपरीत है। एजेंसी के अनुसार, एक निर्वाचित विधायक संवैधानिक पद पर होता है, जो जनता के प्रति उत्तरदायी है और इसलिए उसे विश्वास व अधिकार की स्थिति में माना जाना चाहिए। CBI ने यह भी आशंका जताई है कि सेंगर की रिहाई से पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा को खतरा हो सकता है और इससे न्याय प्रणाली में जनता का भरोसा कमजोर पड़ेगा।
अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट के कल के फैसले पर टिकी हैं, जो यह तय करेगा कि कुलदीप सिंह सेंगर की रिहाई बरकरार रहेगी या उसे फिर से जेल लौटना होगा।
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